Tuesday, October 30

बांसुरी ओर कृष्ण

बांसुरी भी आने को आतुर ह सुन निमंत्रण हरी का,
उन हाथों की लकीरों मे खो जाने का,
दीवानी सी हो जाने का उसका भी मन आज ह,
मगर बेरी ह जग वाले, पास हो के भी न पी के पास ह
उसमे भी अजब सी प्यास ह, बन्धन रहित सी आज ह
मोहन के मोहित रुप मे खोयी सी ह
बावरी सी हर घडी, जगी सी लगे पर सोयी सी है
वो हर पल हर क्षण   उसकी यादों के पास  ह
डाह करती ह राधा ये क्यों बांसुरी  
 कृष्ण के होंठो के पास है
जाने किस से प्रेम, श्याम   को
 अत्यधिक ख़ास है ?
khud ko kyu na kho de koi prem ki is ganga me
jab is prem ke ankur se har dwesh ka ant ho jata ha
kyu na radhika nache basoori ki dhun par jab
mohan ko dekh uska main smapt ho jata ha
us wakt wo bhol jati ha sab bandhan
jab prem-may sansaar ho jata ha

Friday, October 26

बांसुरी भी आने को आतुर ह सुन निमंत्रण हरी का,
उन hatho की लकीरों मे खो जाने का,
दीवानी सी हो जाने का उसका भी मन आज ह
मगर बेरी ह जग वाले, पास हो के भी न पी के पास ह
उसमे भी अजब सी प्यास ह, बन्धन रहित सी आज ह
मोहन के मोहित रुप मे खोयी सी ह
बावरी सी हर घडी, जगी सी लगे पर सोयी सी ह
वो हर पल हर khshan उसकी यादों के paas ha
radha और हरी के मिलन का दिन क्या आज ह?



तुम दिल बनके dhadka
करते हो दिल मे, तुम याद बनके महका करते हो दिल मे
जीस दिन ये दिल टूट जाएगा, उस दिन भी बहोगे दिल मे खून बनके

Thursday, October 11

बहुत दिन हुए उनका कोई संदेसा आया नही,
बहुत दिन हुए, दिल को चेन आया नही,
वो सोचते ह हम भूल जायेंगे उने एक दिन
मगर अब तक तो दिन एक बार भी वो आया नही,
जो मेरी सांसों मे महका करता ह उसको अब तक
साँसों से मन ये दूर कर पाया नही