नव वर्ष अभिनन्दन
धूप मद्धम सी फैली ह,
सर्दी मदमाती सी हठीली ह
फ़िर भी सूरज निकल आता ह
जग मे उजियारा फैलाने को
उसी तरह परम पिता ने
तुमको जन्मा ए मानव
अँधियारा मिटाने को
न द्वेष से कुछ मिलेगा,
हाथ मलते रह जाओगे तुम
बस प्रेम के बंधन से ही
जीवित रह पाओगे तुम
आतंक के साये मे न निकले
भाविश्ये का उजियारा दिन
चलो मिल कर करे प्रार्थना
और नव वर्ष का करें अभिनन्दन
WRIITEN BY SHAVETA NARULA
A PRAYER TO ALIGHTY GOD FOR BRIGHT NEW YEAR
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