Wednesday, October 26

जार जार न रुला मुझे,

जार जार न रुला मुझे, 
 मैं टूट के बिखर जाउँगी 
मैं टूट के बिखर जाउँगी
तो लौट के फिर ना आउंगी
अब तन्हा सा रह गया है
जिंदगी का ये सफ़र 
वो मेरे साथ था मगर 
दूरियां सी बढ गयी
दिल दूर न हुए अभी पर
मीलो दूर जगह नयी 
अब और बार न रुला मुझे  
मैं अब न जी पाऊंगी 

Tuesday, October 25

अब बक्श दे मैं मर मुकी

चरागों से जली शाम ऐ , मुझे न जला तू और भी,
मेरा घर जला जला सा है,मेरा तन बदन न जला अभी,
मैंने संजो रखे हैं बहुत से राख   के ढेर दिल मैं कहीं,
सुलग सुलग के आये हैं , हवा के झोंको के दौर  भी,
मेरे आंसू फिर  भिगो रहे मेरा ही दामन और भी ,
 दूर सब हो गए , अपना कहने वाले भी
नहीं माना   कहीं उनकी गलती मगर
हम अकेले हुए और भी
अब नहीं फिर से तमन्ना जीने के बची,
जो दी थी ताकत खुदा ने प्यार की,
वो हमसे फिर से छीन ली, 
अब और अपना बचा न है,
मेरा घर, जला फुका  सा है 
और कहाँ जलाएगी ,ऐ शाम चरागों से भरी ,
मैं जल चुकी मैं फुक चुकी 
अब बक्श दे मैं मर मुकी !

Tuesday, October 11

ख्वाब कभी सोते नहीं


अधूरे सपने कौन कहता,है की पूरे होते नहीं

बस जोशो जुनूं हो तो,
 ख्वाब कभी सोते नहीं
रगीन, है नहीं ये जहाँ,
 मुझे  पता है यारो ,
पर कौन  कहता है कभी,
 सफ़ेद केनवास रंगीन  होते नहीं
बस न भूलो कभी पाँव   के नीचे की जमीन ,
न भूलो उड़ने वाले असमान  में,असमान में ही सोते नहीं 

Sunday, October 9

समय का अट्टहास ,और चीखती हुई सी रात

समय का अट्टहास ,और चीखती हुई सी रात 
मुझसे कहती है एक बात 
कि  क्यों नहीं मैं चीख प़ा रहीं हूँ? 
क्या इस लिए कि मेरी चीख मैं
 पाषानो को भेदने का दम ख़म नहीं है?
क्या इसलिए कि शायद सब तरफ शोर बहुत है,
बस मौन सी जिंदगी जी रहा  है,ये शहर ,
मगर  पाषाण हृदय, इसके बशर 
 चीख चीख कर इन्साफ मांग रहीहै
मेरी हस्ती,
मेरी चीख को अपने फायदे के लिए 
इस्तेमाल करना चाहती है मगर ये बस्ती 
 इनके चेहरों से टपकती लार 
और मेरे भीतर भरा ये प्यार ,
इनको मेरी भूख दिखा रहा है
ये शोर इन्होने  स्वयम ही बढाया है
 क्युकी इन्हें लगता है , जब मैं चीख कर थक जाऊंगी
तो कहीं थक कर इनके आगोश में ही जान दे दूँगी
तब ये लोग मुझे आगोश में ले कर 
अपनी वासना कि भूख मिटा लेंगे 
मगर मेरी प्रेम कि भूख 
मरणोपरांत मेरे साथ ही , चली जाएगी
और इसी जग मैं भटकती आत्मा बन कर 
 घूमेगी, मगर इस से इन्हें क्या 
क्युकी ऎसी लाखो करोडो आत्माएं 
इन्ही की बदोलत , इस जहाँ में पहले ही घूम रही हा
एक और से इन्हें क्या ?
ए समय तू थम न ,
क्युकी तेरा ठहरना 
मेरी असीमित पीड़ा को बढ़ता ही  जा रहा है
और मेरा अस्तित्व तार तार होता जा रहा है 



Thursday, October 6

Heer bani main us rab di, oh mera Ranjha ho gaya, menu kuch hor najar nahi awnda, oh mera sab kuch ho gaya.... when Almighty`s face is in my eyes, I don`t want to see anyone`s face