Monday, July 27

ये कैसी नोबत आई?

ये कैसे नोबत आयी,
मुरझाने को कलि आयी,
झड़ गए वृक्षों के पत्ते,
काल ने जब हांक लगायी,
जहा बसता था प्रेम सदा,
आशियाना उजड़ गया,
बचा एक खँडहर ही बस,
प्रेम की एक एक ईंट हिल गयी.
टूट गया वो प्रेम् आज,
जो था भाई भाई मे कभी,
चीत्कार कर उठा परभात,
कैसे अँधेरी निशा ये आयी,
मील बर्बदियो ने जश्न मनाया,
हरएक जगह खून बहाया,
प्यार की जगह,चारों तरफ,
दुश्मनी ही दुश्मनी छायी.
बम्बों का अम्बार लगा,
सारा जहाँ ख़ून से लथपथ,
लाशो की सेज सजायी कीस्ने?
लाशो की सेज सजायी.
काल का देखो नग्न नाच,
कर गया विनाश आज, देख दशा
नव भारत की शवेता तेरी आंखे भर आयी.

आजादी के परवाने

वो आजादी के दीवाने थे,

दीवाने थे , परवाने थे।

वो जो कर्मठ, योगी और सयाने थे,

वो आजादी के दीवाने थे,

ओज वाणी से सारी वसुंधरा गर्जाते थे,

सवयम के पवित्र लहू से,

भारत माँ के चरण धुलाते थे,

अश्रू पूरित नैनों से, भारत को

गरिमाम्ये बताते थे,

सवर्ण चिरिया उड़ कर जो,

बंदिनी पिंजरे की बन गई,

वो पागल दीवाने उसे मात अपनी

बतलाते थे, उसके गुणगान गाते थे,

हाँ वो पागल और दीवाने थे,

आजादी........................................

सर्वोत्तम हो मेरा देश

तिमिर मिटा ह , आजादी के दीप जले ह
हर तरफ़ सुखमय हरियाली ह,
हरियाली के रंगों मॆं  ही
मेरी वसुंधरा हुई मतवाली ह,
झूम झूम के गाती धरती ह।
आओ सब मिल खेलें खेल
आज मिटा दे दुःख का अँधियारा,
ज्ञान का दिया जले हर घर मे एक,
सभी द्वेष अब मिट जायें और
खुशियों का हो समावेश,शवेता
की यही दुआ हा
सर्वोत्तम हो मेरा देश...