Tuesday, August 25

उठ भारत सवाप्न साकार कर अपना

ऐ अनमोल सृष्टि के रचियता, ऐ भारत
उठ सवाप्न साकार कर अपना
समानता, समता ममता की कर रचना
उठ भारत स्वप्न साकार कर अपना
विजयी भावः आर्शीवाद देते हा देवता
ले बापू का शास्त्र और ज्ञान ज्वर सा
प्राणों मै संचारित कर, लहू नव उल्लास का
ले अब शांत क्रांति कर दे आरम्भ नैनों मै
कर परिवर्तन का सपना
झूठ , पाप अनाचार का तिमिर मिटे
नव सदी हो निर्मित अब
सुन्दरता सावरतर हो, ऐसा कर गुजरना
प्रदीप्त हो जाए जग सारा
भविष्ये उज्जवल कर अपना
ऐ अनमोल सृष्टि..............
माना गया था तुझे उत्तम, अति उत्तम
कहीं अब ललकार न उठे
तू भी दिखा दे, तू ही उत्तम हा , रहेगा
सदा सर्वदा
ले नव शक्ति मत सह उलाहना,
प्रथम ज्ञान तुने दिया था
प्रकृति का पालना तू ही बना था
जाग जाग भारत पहचान बल अपना
ज्वाला तेरी आँखों मै हा
युग परिवर्तन का सपना
ऐ अनमोल ................

उठो जगा do

आशाओं के दीप जला लो
नन्हें बच्चो अपने नैनों में
फ़िर विश्वास की ज्योति जला दो
नन्हे बचो जग के सपनों मैं
चमन के फूल अलग जैसे
चमन के मूल अलग जैसे
क्यारियों मे, एक सा पानी फैला दो
सिंचन कर दो उन्माद रंगले उपवन में
है भाषा अलग ज्जैसे, हा बोली अलग जैसे
अलग अलग हैं विचार सबके
संस्किति की एकता दर्शा दो
भर दो विश्वास प्राण प्राण और जन जन में
आज सब टूट रहा हा
दिल भारतीये का बिखर रहा हा
कमजोर हा एकता, छा रही हा खान्द्ता,
तुम ही फ़िर से बिछुडे दिल मिला दो
कर दो संचार जाग्रति का तन मन मे
तिमिर मे बढता हा क्यों, नव निर्माण का कल्पतरु
नवनिर्माण होगा नहीं यु
ये तुम बतला दो
निष्प्राण मे प्राण जगा दो
आज तुम अपने श्रम से