आशाओं के दीप जला लो
नन्हें बच्चो अपने नैनों में
फ़िर विश्वास की ज्योति जला दो
नन्हे बचो जग के सपनों मैं
चमन के फूल अलग जैसे
चमन के मूल अलग जैसे
क्यारियों मे, एक सा पानी फैला दो
सिंचन कर दो उन्माद रंगले उपवन में
है भाषा अलग ज्जैसे, हा बोली अलग जैसे
अलग अलग हैं विचार सबके
संस्किति की एकता दर्शा दो
भर दो विश्वास प्राण प्राण और जन जन में
आज सब टूट रहा हा
दिल भारतीये का बिखर रहा हा
कमजोर हा एकता, छा रही हा खान्द्ता,
तुम ही फ़िर से बिछुडे दिल मिला दो
कर दो संचार जाग्रति का तन मन मे
तिमिर मे बढता हा क्यों, नव निर्माण का कल्पतरु
नवनिर्माण होगा नहीं यु
ये तुम बतला दो
निष्प्राण मे प्राण जगा दो
आज तुम अपने श्रम से
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