Sunday, August 21

जन जोश की आंधी बहती है

एक चिंगारी जो दबी हुई थी 
 आज भड़क फिर बैठी है ,
 अन्ना अब जुटे रहो 
 आज भारत की जनता ये  कहती ह
 जो तंग आ चुकी जंगल राज से 
   हक़  ले दो हमें ये कहती है
  न जाने अंत अब होगा क्या ?
 धर्मयुद्ध फिर है , आरम्भ हुआ ,
  अन्ना देखो जम के खड़ा ,
     उसके पीछे पीछे देखो
  जन जोश की आंधी बहती है
  अब  तो होके रहेगा विश्व का
  लोकतंत्र फिर से बहाल 
     क्युकी ये वो जनता ह
  जो हर दिन भ्रष्टाचार सहती है