ये कैसे नोबत आयी,
मुरझाने को कलि आयी,
झड़ गए वृक्षों के पत्ते,
काल ने जब हांक लगायी,
जहा बसता था प्रेम सदा,
आशियाना उजड़ गया,
बचा ह एक खँडहर ही बस,
प्रेम की एक एक ईंट हिल गयी.
टूट गया वो प्रेम् आज,
जो था भाई भाई मे कभी,
चीत्कार कर उठा परभात,
कैसे अँधेरी निशा ये आयी,
मील बर्बदियो ने जश्न मनाया,
हरएक जगह खून ह बहाया,
प्यार की जगह,चारों तरफ,
दुश्मनी ही दुश्मनी छायी.
बम्बों का अम्बार लगा,
सारा जहाँ ख़ून से लथपथ,
लाशो की सेज ह सजायी कीस्ने?
लाशो की सेज ह सजायी.
काल का देखो नग्न नाच,
कर गया विनाश आज, देख दशा
नव भारत की शवेता तेरी आंखे भर आयी.
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