ऐ अनमोल सृष्टि के रचियता, ऐ भारत
उठ सवाप्न साकार कर अपना
समानता, समता ममता की कर रचना
उठ भारत स्वप्न साकार कर अपना
विजयी भावः आर्शीवाद देते हा देवता
ले बापू का शास्त्र और ज्ञान ज्वर सा
प्राणों मै संचारित कर, लहू नव उल्लास का
ले अब शांत क्रांति कर दे आरम्भ नैनों मै
कर परिवर्तन का सपना
झूठ , पाप अनाचार का तिमिर मिटे
नव सदी हो निर्मित अब
सुन्दरता सावरतर हो, ऐसा कर गुजरना
प्रदीप्त हो जाए जग सारा
भविष्ये उज्जवल कर अपना
ऐ अनमोल सृष्टि..............
माना गया था तुझे उत्तम, अति उत्तम
कहीं अब ललकार न उठे
तू भी दिखा दे, तू ही उत्तम हा , रहेगा
सदा सर्वदा
ले नव शक्ति मत सह उलाहना,
प्रथम ज्ञान तुने दिया था
प्रकृति का पालना तू ही बना था
जाग जाग भारत पहचान बल अपना
ज्वाला तेरी आँखों मै हा
युग परिवर्तन का सपना
ऐ अनमोल ................
1 comment:
वाह!क्या बात है जी!
कुंवर जी,
Post a Comment