Friday, November 27

मैं सब से लड़ चुकी पर कैसे भाग्य
से लडूं मैं अपने, वो मेरे भाग्य की काले साये
जो हो रहे ह नित और घने
वो जो अपनी जगह बनाने को
गिराना चाहते ह मुजको ऊपर से
वो क्यों हर बार परमपिता सफल हो जाते
ह,iradoon मैं अपने
पहले भी और अब भी वोही जलने वाले
रहो मै खड़े ह, जो मेरी विशेषताओ को
अपना दुश्मन मानते ह
मैं जानती हो मैं उन सब से ऊपर हूँ
पर तुम ही मोका दू मैं कैसे साबित करू?
और न साबित करो तो भी दुःख नही
पर उने ख़ुद को गिराने से कैसे
रोक मैं loo?

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