ओह बेकसूर अज्न्म्या बच्चा
आज वी मै सोचदी हाँ कदे कदे,
उस सुहाने पालन नु, जो मै ऊदे नाल बिताये,
पर एक tees वी हा मेरे मन विच,
मैं सोचदी हाँ आज वी, की उसदा की कसूर सी?
असी प्यार किता,
उसने मेनू, ते मै उनु प्यार किता,
असी पागल जाहे हो गए प्यार विच,
ते असी एक सीमा नु तोड़ दिता,
असी उस गलती दा हश्र जांदे सा,
पर उस पल असी सब भुला दिता,
असी उस ठंडे प्यार दी आग विच,
समाज दियां रसमां नू जला दिता,
अपनी जिंदगी दे ओह, सुहाने पल बिताये,
हर वक्त, उहना पालन दी याद विच,
असी फ़िर अपने दिन और रात बित्याए,
पर एक दिन अचानक सानु अपनी गलती दा अहसास होया,
उस पल, किता होया प्यार फ़िर गुनाह बन गया,
फ़िर ओह प्यार दी मीठी आग,
नरकं दी आग जाही सानु जलन लगी.
असी अपने प्यार दी निशानी,
अपने हथि डर_ के मिटा दिति,
की ओह प्यार वडा गुनाह सी?
या उस अजन्मे बचे नु मरना खता सी?
प्यार दोहन दा खून विच लिप्ट्या होया सी,
ओह अज्न्म्य बच्चा होली-होली मुक रहा सी,
मेरी आंखां विच हजुआं दा सेलाब सी
साडे किते गुनाह दी की अहि सिर्फ़ सजा सी?
ओह अज्न्म्य बचा जेड़ा मर गया,
ओह ते पूरी तरह बेगुनाह सी……
ओह अज्न्म्य बचा…
आज वी मैं सोचदी हाँ कदे कदे,
उस सुहाने पालन नु, जो मै उडे नाल बिताये
पर एक टीस वी हा मेरे मन विच
मै सोचदी हाँ आज वी, की उसदा की कसूर सी?
1 comment:
hi ,shaveta its a great poem , we published that in punjabi on www.punjabinewsonline.com
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