कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Saturday, December 4
आज का विचार
कहू क्यों मै अपनी पीर किसी को, जब कोई समझे न मेरी पीर
दुखड़ा मेरा ,कोई न समझे बस समझे रघुवीर
1 comment:
रघुवीर तो सबकी सुनने के लिए ही है जी....
पर जो लिखा है वो सच बात है क्या ये.....???
"जब हम आपकी पोस्ट पर टिप्पणी छोड़ते है तो रक ऑप्शन आता है जिसमे कुछ शब्द दिखाई देते है जो हमें टैप करने पड़ते है...बस वो ही,
आप सेटिंग में जाकर इस ऑप्शन को आसानी से बदल सकते हो...
कुंवर जी,
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