एक चिंगारी जो दबी हुई थी
आज भड़क फिर बैठी है ,
अन्ना अब जुटे रहो
आज भारत की जनता ये कहती ह
जो तंग आ चुकी जंगल राज से
हक़ ले दो हमें ये कहती है
न जाने अंत अब होगा क्या ?
धर्मयुद्ध फिर है , आरम्भ हुआ ,
अन्ना देखो जम के खड़ा ,
उसके पीछे पीछे देखो
जन जोश की आंधी बहती है
अब तो होके रहेगा विश्व का
लोकतंत्र फिर से बहाल
क्युकी ये वो जनता ह
जो हर दिन भ्रष्टाचार सहती है