प्यार हर उम्र मैं, हर दौर मैं बस प्यार होता है
इसका कोई और नाम मुझे सूझता ही नहीं
कितना लिखा , कितने शब्द जोड़े निस दिन
मगर प्यार को नाम न कोई दे पाई
हर बार वो आकर्षण प्यार था मुझे यकीं है
क्युकी मेरे दिन रैन इसके अधीन है
मुझे रब से भी पहले जब उसकी याद आई
तो कैसे कह दू की प्यार अब तक न मैं कर पाई
इसलिए हर बार का आकर्षण प्यार होता है
बस कुछ उलझने उसका नाम नफरत बना देती है
1 comment:
खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
Post a Comment