कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
if u want to see the poems of my blog, please click at the link of old posts at the end of the each page
Tuesday, January 31
ऐ पथिक मुझे थकना नहीं है, मैं थक गयी तो कैसे मंजिल पाऊंगी ?
No comments:
Post a Comment