यादों को जाने क्यों संजोया ह,
क्या पाया ओर क्या खोया ह,
कभी देखती हू दूर तलक,
बस यादो को ही मेने पिरोया ह.
कुछ ओर कभी था ही नही,
याद ही तेरी ओर कोई साथ था ही नै,
अंधेरो मे भी जीने संजोया ह,
वो तेरी यादो का मीठा दर्द ह जो,
मेरे अकेले पन के साथ सोया ह.
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