Saturday, April 14

रंजीश

ये रंजीश ना होती, ये दुःख ना होता,
अगर जिवानकी तनहाई मे अब तक,
किसी ने साथ दीया होता, किसी ने मुज़े सुना होता,
किसी ने मेरी च्र्दिवारी मे बंद khwaisho को ,
पनपने दीया होता, मुज़े भी जीने का हक होता,
मैं मैं ही रहती ,मेरा कोई वजूद होता,
फीर ये .............

रंजीश ना होती, ये दुःख ना होता.

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