क़ैद मै फर्फराती सी बुलबुल, अब उड़ना चाहे,
साथ कोई दे ना दे, पर अब खुल चुकी ह रहे,
अब पिनजरे टूट गए ह, अब उड़ने ही वाली ह,
उसकी उडान सरे जग मै निराली ह
जो क़ैद मै थी पहले, अब बाहर नीकल के मुस्कुराये
दूर कर दीया ह, उसने डर के साये...
अब कहा भी उससे जाये, ओर जीया भी ह जाये...
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