जब गम की हो जाती ह अती,
आस पास कोई अपना जो होता नही,
अकेली सी बुलबुल रहे तर्पती ,
जब अपना मानों जिसे वो छोर दे साथ ही,
तो रहता नही कीसी पे भरोसा भी,
जब अपने जन्म दाता भूल जाये देना खुशी,
तो दील से फीर वो आह ह निकल्ती,
की सब बाते असूलो की रह जाती ह धरी की धरी!
No comments:
Post a Comment