Monday, April 23

क़ैद मै ह बुलबुल-3

जब गम की हो जाती ह अती,
आस पास कोई अपना जो होता नही,
अकेली सी बुलबुल रहे तर्पती ,
जब अपना मानों जिसे वो छोर दे साथ ही,
तो रहता नही कीसी पे भरोसा भी,
जब अपने जन्म दाता भूल जाये देना खुशी,
तो दील से फीर वो आह ह निकल्ती,
की सब बाते असूलो की रह जाती ह धरी की धरी!

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