ठण्डी हवा के झोकों से बचा कर चरागो को हमने,
रोशन कीया ह तुमरे लिए , अब तलक,
आंधी तूफानों से बचा कर,बारिशो से भी छुपा कर,
रोशन कीया ह प्यार को, इस बरस !
की अब तुम आकर , बरस जाओ बदली बन कर इस अंतर्मन
मे,रोशन हुए चरागो के मध्य तक..
चलते हुए अंधेरो से, पार कर के ख्शितीज को, हम हाथों मे,
हाथ लेकर चलते रहे अगले नए प्रभात तक...
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