Saturday, April 14

तुम्ही ए दोस्त

आज सफ़र असान सा लगने लगा की तुम,
दोस्त बन कर जो जीवन मे आये हो,
वो भी थे जीने अपना हमसफ़र मन था,
वो तो चोर गए एक मोड पर अकेला,
आज उस मोड पर हाथ बढाने तुम आये हो,
कितनी दुशवारिया थी राहों मे,
आज उन आँखों के अन्स्सू तुम ही पूछने आये हो,
जीनके लिया हमने सारा जीवन दे दीया ,
वो तो जा किनारे पर बेठे ह,
मगर तूफानों मे हाथ बड़ा कर तुम ही,
मेरी भवर मे नाव चलाने आये हो,
बन माझी मेरी नय्या के,
मुज्से प्यार जताने आये हो.
तुम्ही ए दोस्त मेरा साथ निबाहाने आये हो.

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