Saturday, April 14

चमकता चांद

चमकता चांद दाग समेटे ह अपने जहाँ मे,
कोई ये भी देखे,
मुस्कुराता फूल ह कितने कांटे समते ,
कोई ये भी परखे,
उसी तरह ये जीवन अन्बुझ पहेली,
सुलझा कर तो देखे.
ओर उलझते जायेंगे, सुलाज ना पाएंगे,
ये अनजान रास्ते.

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