Saturday, April 14

प्रेम रंग

मेरे धवल आंचल पर प्रेम रंग तुमारा,
रंग रंगीला हो ये श्वेतांचल प्यार तुमार,
अक जवालित ज्योति बाना कर रख दीया तुमने,
मेरा अस्तित्व सारा.

कभी कभी अचानक उही हँसते हँसते,
जब यादो मे मुखुर हो उठता ह चेहरा तुमार,
तो धुन्दली आँखों मे अविरल बहने लगती ह ,
मेरी अश्रु धारा.

टूट कर बिखरते ह मोती अनेको,
रोम रोम पीडा से भर जता ह सारा,
मान कर भी मान पते नही की कर गए ,
हमसे तुम किनारा.

जिस प्रेम कथा के अंकुर को तुम,
अपने जूठ से सींच गए थे,
अब उनको अमर पवितर बनाएगी ये ,
मेरी अश्रु धारा.

मों रह कर मेरे तड़पते दील को,
ना पीडा दो सनम,एक बार तो
दर्श दीखा दो बस एक बार,
कह दू वो प्रेम सत्य था या चलावा,

दीपक जला कर अँधेरी रात मे भी,
इंतजार करते रहेंगे तुमारा,
इस बीच अगर तुम आ जाओ मेरे प्रीये,
ज्योतिर्पूंज ये हो जाएगा सारा तुमारा.

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