कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Friday, April 13
आपका shukriya
बन गए मेरे हमराही, आप का शुक्रिया, तकलिफे हो गयी ह आधी, आपका शुक्रिया, अब गम की चिन्ता नही सताती, आप का शुक्रिया, मेरे जख्मो को सहलाया, आप का शुक्रिया. मुज़े fir जीने के काबिल बनया, आप का शुक्रिया.
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