हम तो नै जानते की क्या सही ह क्या गलत,
क्यूकी ग़र सूरज की रौशनी सुख देती ह,
सर्दियों की शीत सुबह को , तो वो सप्र्श मधुर ह.
ओर अगर भीषण गरमी मे चिल्चिलाती धुप ह तो ये ज्वर ह.
धूप तो धूप ह कभी सुखद कभी दुखद .
जब ठंडी हवा चलती ह मन्द मन्द,
एक गर्मियों की सुबह को, बूंदे गीरती ह,
बारिश की एक तपती दोपहर को, तो ये अनुभव सुखद ह,
ओर अगर सरदी की सुबह हवा चल जाये शीत लहर ह.
हवा तो हवा ह मस्त ह, जीवन दे या मरण.
मूजे पता ह, की अती हर चीज की बुरी होती ह,
क्यूकी कोई बी अभिवाय्क्ती अपनी सीमा पर कर जाये,
तो ये असीमित पीरा ह, बुरा ह, घाव ह, दुःख ह,
ओर अगर खुद को रोक ना पाये तो प्यार भी गुनाह ह,
धूप हो, हवा हो,सभी गुनाह ह,अगर पर हो जाये हद.
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