दर्द दर्द लोग कहते ह, दर्द क्या ह हम ये कहते ह
ये आग ह दुखो की, ये लाश ह खुशियो की,
ये जिन्दगी का नंगा सच ह, ओर आंसू का जश्न ह
ये जख्मो परनमक ह, ये सूखा हुआ हलक ह
ये रेगिस्तान ह अकेले पन का , ये भीड़ मै अकेलापन ह
ये खुश्यी का ग्रहन ह, ये खूनी लाल रंग ह,
ये ज्वलामुखी की अगन ह, ये नरक की आग ह
पर फीर भी ये ह, ओर उसी की बनायीं दुनिया मै ह
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