कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Monday, April 16
ek ghrihini ki dua...
मैने दुआ एक मांगी उस रब से, की अगर कही karadakti धूप हो तो मुज़े दे दे,मगर मेरे आंगन को सलामत रखे
कोई ना तोरे मेरे phol आंगन के दर के सहमे साये मै , वो ना जिए, आजादी की महक उनको महसूस हो ओर वो हमेशा खुश रहे...
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