मत्र्भूमी से प्यार कोई बुरी चीज नही,
मगर उससे भी बड़ी इंसानियत ह कही,
क्यों लड़ मर कर ख़ून खराबा करते ह सब
नाम ले कर, वतन का प्यास भुझाते ह वह्शियत की
कोई भी मजहब नही सीखाता, आपस मै बेर रखना फिर भी
नाम धरम का लेकर, लारते ह लोग मतलब के लिया ही
ये तो चांद लोग ह बेठे जो गद्दी पे,
जो लड़ा रहे ह, सारी इंसानियत को ही ,
हम सब एक दुसरे के दील चोट पहुँचाये नही.
ओर जो पहुँचाये इंसानियत को चोट, उसे बकशे नही
काश ऐसा कोई कानून होता, सभी देशो मै अमन होता...
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