कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Wednesday, May 9
उम्मीद
एक अहसास था मै चलती रही, वो दूर था मै चलती रही अब पा लिया ह जो उसको तो ओर कुछ पाने की उम्मीद बाकी ना रही
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