मेरा मन कहॉ कहॉ ना तुझ को खोजे
कभी कलि की खुशबु मै, कभी चंचल चितवन मॆं
तुमारी नैनों मै भ्रमित हुआ मेरा मन
तेरे प्यार से वंचित हुआ मेरा मन
तेरे अहसासो मै खोया मेरा मन
तेरे विच्रो मै घूमता मेरा मन
हर पल हर दिन,बस विचलित सा मेरा मन
सत्य नई तुम छलावा हो जानता ह मेरा मन
मगर फीर भी रातो, को दहकता मेरा मन
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