मुझसे पूछा उसने प्रेम क्या ह,
मैने बोला प्रेम मित्र का मित्र से,
माँ का बच्चे से, ओर पति का पत्नी से
प्रेम सिथिर नही, ये चलता ह
मानव मन भ्रमर ह,
ये कभी फूल कबी कलि को चाहता ह,
कभी इसका धरती , कभी आकाश मै मन रमता ह
प्रेम बदलता ह, स्थिर नही रहता ह
परन्तू प्रेम नही वासना ह
ये दो अलग जहाँ ह
प्रेम ह राधा का मोहन से,
ओर मीरा से भी उसका नाता ह
ग्पोइयो संग भी कृष्ण प्रेम करते थे
मन ग्पियो का भी उसी मै रमता ह
उसने सवाल पुछा था एक, उसका जवाब इसमे छुपा ह
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