आज वो दोस्त दूर चला गया
जिसने हाथ पाकर मुझे राह चलायी थी
वो मेरी रहे छोड , आगे बढ गया
जाने क्यों मुझे लोग मिलते ह, फीर दूर चले जाते ह,
आज खुश हू मगर एक कमी सी ह
मेरी आँखों मै नमी सी ह
मेरा यार , मुझे अलविदा कह गया
वो जो साथ मेरा हाथ पकड़कर चला
वो हाथ छोर बिछार गया
उसके साथ बिताये पल स्वर्णिम ह
मेरी याद की पिटारी मै बंद ह
वो मेरा हमराह था, कुछ देर को
फीर हँस कर वो गुजर गया
मेरा दोस्त मुझसे बिछार गया
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