Wednesday, August 29

क्यों रख बना डाला तुमने?

मे जली मेरे ख्वाब मेरे साथ जले,
मे रोई , मेरे ख्वाब मेरे साथ रोये,
मे चिल्लायी ,पर तुम ना मेरे साथ रोये,
मैने जी जान से अपने लीया सपने संजोये,
पर तुने मेरे ख्वाबों को,
ना समझा मेरी बातो को,
कोई पागल कहा, ओर दीवाना कहा,
इसलिये हर पल मेरे साथ मेरे ख्वाब रोये,
तुमारे आंसू देख, मे अपने आंसू पोंछ लेती हू
पर अकेले मे कभी रो दीया करती हू
फीर खुद से सवाल करती हू
जब मे एक औरत थी, तो ख्वाब दिए क्यों थे?
क्यों बेटी बना कर पला मुझे ?
अपने आंगन मे बाबुल तुने,
क्यों खिलाया, मार क्यों ना डाला मुझे?
जो मेरी खुशियाँ तेरी आबरू की मौत थी
तो क्यों ना जीते जी जला डाला मुझे?
मेरे ख्वाबों के ही साथ मे?
क्यों ऐसे जिन्दगी दी की?
मे ना जी सकी , ओर ना मर ही सकी!
सिसकती एक आह को क्यों रख बना डाला तुमने?





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