कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
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Wednesday, August 29
एक हसीं याद
ज़माने को मंजूर नही मेरा प्यार तो भी उन हसीं पलों क यादो को ही मैने दिल मे संजोये रखा ह तेरे नर्म हाथो को तेरी खुशबु को मैने मन मे बसा रखा ह जानती हू, ये ख़ुशी पल भर की ह पर अब तो इसे ही जिन्दगी बना रखा ह
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