एक सुन्दर वर्णन जो मेरी आँखों ने देखा नहीं,
महसूस करने लगी, तुम को वर्णन मै वो सुनाऊ अभी,
एक मोहक सी धुन वृन्दावन मै बजने लगी
गोपियां माधुर्य मॆं खोयी सी नशे मॆं रमने लगी
राधा हरी मिलन हुआ , असीमित सुख की अनुभूति होने लगी!
वास्तव मॆं तुम्हे पा कर प्रेम को जाना ह मैने ,
तन और मन से ही इस सुख को पहचाना ह मैने,
ये सुख अंतहीन ह, इस सुख के आगे सब विहीन ह,
पर जानती ह दुनिया केवल बंधन मै बांधना, पर
बंधन रहित हो कर ही इस प्रेम को पाना ह
shaveta narula
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