Sunday, April 27

निशान अब भी ha

अब अंधेरे मुज्हे अपने लगते ह क्यूकी
वोही ह साथ जो मेरा छोड़ते नहीं
बाकि सब तो हाथ छुडा कर चल देते ह
पर ये अंधेरे मेरे साथ साथ चलते ह
हर एक को आजमाया, हर एक को देखा
बस हर खुशी का साथ जैसे पल भर का था
परंतू अंधेरों ने मुज़े पनाह दी ह
तो अहसान कैसे भुला दू मैं andheron का
उजलओं से हाथ जला ह मेरा
जिसके निशान हथेली पर अब भी ह










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