mujhe चमकता सितारा न बना, तो कोई गम नही खुदा
मगर mujhe उस आस्मां me, बस थोड़ी सी जगह देना
जिसकी मैं हकदार हूँ
तू जनता हा की मैं, अस्मा की बुलंदी पर जाने के लीया
कोई क़ुरबानी दूँगी नही,
तू jantaह, अपना hअक पाने के लिए लोगो से
मैं ladongi नही
मैं ऊपर पहुँचाने के लिए
किसी और को नही गिरओंगी कभी
बस कर्म कर रही हूँ, जी जान से
मन हो तुमारा तो मेरा ये जीवन सफल
बना देना,
कभी इस गुमनाम सी लड़की को
कोई तो इनाम दिला dena
कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ if u want to see the poems of my blog, please click at the link of old posts at the end of the each page
Sunday, November 29
Friday, November 27
मैं सब से लड़ चुकी पर कैसे भाग्य
से लडूं मैं अपने, वो मेरे भाग्य की काले साये
जो हो रहे ह नित और घने
वो जो अपनी जगह बनाने को
गिराना चाहते ह मुजको ऊपर से
वो क्यों हर बार परमपिता सफल हो जाते
ह,iradoon मैं अपने
पहले भी और अब भी वोही जलने वाले
रहो मै खड़े ह, जो मेरी विशेषताओ को
अपना दुश्मन मानते ह
मैं जानती हो मैं उन सब से ऊपर हूँ
पर तुम ही मोका दू मैं कैसे साबित करू?
और न साबित करो तो भी दुःख नही
पर उने ख़ुद को गिराने से कैसे
रोक मैं loo?
से लडूं मैं अपने, वो मेरे भाग्य की काले साये
जो हो रहे ह नित और घने
वो जो अपनी जगह बनाने को
गिराना चाहते ह मुजको ऊपर से
वो क्यों हर बार परमपिता सफल हो जाते
ह,iradoon मैं अपने
पहले भी और अब भी वोही जलने वाले
रहो मै खड़े ह, जो मेरी विशेषताओ को
अपना दुश्मन मानते ह
मैं जानती हो मैं उन सब से ऊपर हूँ
पर तुम ही मोका दू मैं कैसे साबित करू?
और न साबित करो तो भी दुःख नही
पर उने ख़ुद को गिराने से कैसे
रोक मैं loo?
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