Tuesday, August 24

meri jaan ka dushman

ek ek  pal jina mushkil sa hua,
uski yad main ye dil karta ha roya,
wo meri saans sa muzme samaya ha,
tadap tadap, ankhoo main nasha chaya ha,
kuch in dooriyon ka kasoor ha , kuch mosam ka,
mere dilo dimag par uska khumar chaya ha,
jis kalam ko main kitab main rakh ke kahin bhool gayi thi,
us kalam ne uske wajood ko fir apnaya ha,
fir wohi jaanewafa muzko yad aya ha
fir wohi jaan ka mere dushman ban aya ha

क्युकी आज प्रेम दिवस है !



 तनहा रहे , तनहा सफ़र था
 जब तुम मिले तो क्या मंजर था
मैं वीराने में भटक रही थी ,
और मेरा साया भी मेरा न हमसफ़र था ,
 आंसू टूट कर मोती से बिखर गए थे,
 और जर्रे जर्रे में अकेलापन बसर था

मैं खामोश रह गयी जब मिले तुम,
और ख़ामोशी मैं एक प्रशन भर था ,
  की मैं इस सूनेपन से घबरा गयी हूँ


अब अकेले चलते चलते पथरा गयी हूँ

तुम आ अमृत से जीवन भर दो
 और कंटीली रहो को फूलों से भर दो
 आज का दिन उस के लिए शुभ है
 क्युकी आज प्रेम दिवस है !


Friday, August 13

जिंदगी का अनुभव




जिंदगी ........
एक असीमित विस्तृत सा मरुस्थल ,
जीवन के प्रत्येक पहलू पर ,
चन्द्र की भांति लगा हुआ एक ग्रहण,
एक कड़वाहट का अहसास,
बिसरी भूली सी मिठास,
और कभी कभी उस कड़वाहट को अपना कर ,
सदा मुस्कुराने का हमारा एक कृतसंकल्प,
सदैव हमको परेशानी मैं डालने वाला हमारा ही व्यक्तित्व,
हमें एक अजब उलझन में डालता नग्न सत्य,
उस जीवन के व्यसनी हम
उस कंटीले जीवन को जिए जाते है
क्यों कि सत्य हमें ओछा और घिनौना,
 और  कभी नग्न तलवार सा,
 प्रतीत होने लगता है,
और जो जिंदगी ....
 झूठ के सहारे
व्यतीत करनी किसी ज़माने में
जहर सी लगती थी
फिर वही झूठी जिंदगी झरने सी मीठी
लगने लगती है,

परिस्थितियाँ........
इंसान को ऐसा बना देती हैं कि वो,
एक झूठ से दूसरे झूठ के अन्दर
 इतना उलझ जाता है,
कि चाह कर भी मकड़ी के समान ,
उस झूठ के जंजाल का आवरण उतार कर
फैंक ही  नहीं पाता, रोना चाह कर भी अपने आंसुओं को ,
जज्ब कर लेना बेहतर समझता है ,

ताकि लोग .........
उन आंसूओं को ,
 मगरमच्छ के आंसू समझने कि भूल न कर बैठे,
वो अपने छिले हुए जख्मो पर खुद ही ,
हस्ते हस्ते नमक छिडकता  रहता ह ,
शायद इसी मैं उसे सब से जायदा सुकून मिलता ह
फिर   आंसू धीरे -धीरे सूखने लगते है ,
और इसे ही लोग जिंदगी का अनुभव कहते है !