Saturday, October 16

काश के सत्य के पथ पर चल पाते हम

काश के सत्य के पथ पर चल पाते हम,
काश जो दिल मे ह कह पाते हम,
काश कि सब सत्य होता
कुछ छलावा  न होता,
विष्णु कि मोहिनी मॆं जग
 भरमाया न होता,
न हम  दुनिया मे आने के उपरान्त ,
उस प्रभु को भूल जाते ,
जिसने जन्म दिया उस,
 परमपिता को याद रख पाते,
इस दुनिया के गोरखधंदे मॆं
न फंस जाते हम
झूठ कि शरण मे न खुदको छुपाते ह
गर्व से  खुद से अंखिया मिला पाते हम
काश के सत्य के पथ पर चल पाते हम

2 comments:

Narayan said...

3)"मानवीय जीवन मुख्यत पांच प्रकार की भूखो से बंधा होता है:-
i)पेट की भूख, खाद्य पदार्थ से संतुष्ट होती है। ii) तन की भूख, संपर्क से संतुष्ट होती है। iii) मन की भूख, भावनाओं से संतुष्ट होती है। iv) मस्तिष्क की भूख, ज्ञान से संतुष्ट होती है। एवम,v) आत्मा की भूख प्रभु के ध्यान से संतुष्ट होती है। यदि जीवन में किसी भी प्रकार की भूख की संतुष्टि का आभाव है तो, चिंता न करें, आत्मा के माध्यम से "परमात्मा" अपने हिसाब से उस कमी को बड़ी सुन्दरता से पूरा कर देंगे। विशवास रखें."
-------Narayan, 06.08.10
Basically all illusions are mere solutions, because when we feel entangled into some severe situation then we pray to God to take out of that worst circumstances, only then "HE" shows mercy and provides us a true path which is capable to take us to "HIM".........Narayan

shaveta said...

adbhut satya, or dilasa bhare shabd dhanywad