कर्म योगी हूँ मैं ,मानती हूँ धर्म भी,
मगर सीखा हा मेने जीवन से,
धर्म मेरा कर्म ह,जिसके लिए मे आई हूँ,
बढ़ रही हूँ दुर्गम मार्ग पर,
सुगम उसे बनाऊँगी ,
मेरे आत्मविश्वास को
न समझना तुम घमंड कभी
इसलिएमैं उलझनों से कभी टूटी नहीं
क्युकी ऐसा हा समझो
वो मेरा खुदा मेरे साथ ह
मैं जब जब चलती हूँ कदम भर
वो सखा मेरे साथ ह
इसलिए मेरा `मैं` मैं नहीं
बस मेरा आत्मविश्वास ह,
और मुझे अपने उस खुदा
पर,
खुद से भी अधिक विश्वास ह
ऐसा नहीं की मुश्किलें देखि नहीं मेने कभी
ऐसा नहीं की जार जार, रोई नहीं मैं भी कभी
रोती हूँ, सिसकती भी हूँ
पर फिर भी एक आवाज हा
जो मेरे उस राम की ह
वो मेरे ही साथ ह
उसके कदम मेरे कदमो के
निशानों के पास ह
पर अगर कदम न दिखें तो
समझो उसकी गोद मे
मेरा हर कल, और आज है
मगर सीखा हा मेने जीवन से,
धर्म मेरा कर्म ह,जिसके लिए मे आई हूँ,
बढ़ रही हूँ दुर्गम मार्ग पर,
सुगम उसे बनाऊँगी ,
मेरे आत्मविश्वास को
न समझना तुम घमंड कभी
इसलिएमैं उलझनों से कभी टूटी नहीं
क्युकी ऐसा हा समझो
वो मेरा खुदा मेरे साथ ह
मैं जब जब चलती हूँ कदम भर
वो सखा मेरे साथ ह
इसलिए मेरा `मैं` मैं नहीं
बस मेरा आत्मविश्वास ह,
और मुझे अपने उस खुदा
पर,
खुद से भी अधिक विश्वास ह
ऐसा नहीं की मुश्किलें देखि नहीं मेने कभी
ऐसा नहीं की जार जार, रोई नहीं मैं भी कभी
रोती हूँ, सिसकती भी हूँ
पर फिर भी एक आवाज हा
जो मेरे उस राम की ह
वो मेरे ही साथ ह
उसके कदम मेरे कदमो के
निशानों के पास ह
पर अगर कदम न दिखें तो
समझो उसकी गोद मे
मेरा हर कल, और आज है
6 comments:
अनुभूति-4 "रूहानी चाहत" 26.03.०४
न दिन होता है, न रात होती है,
सिर्फ तेरे तस्सवुर में बात होती है,
हर दम मेरे दिल में सिर्फ इक बात होती है,
हर पल तेरे साथ रहने की जुस्तजू होती है,
जिस्म के जर्रे जर्रे से बहती रूह ये कहती है,
ऐ प्यार के राही, जरा ठहर जरा देख,
यही वो मंजिल है,यही वो हकीकत ,यही तो इबादत होती है,
ऐ दिले नादाँ,जरा होश में आ,यही वो रूहानी लौ है,
जो हर दम तेरे दिल में जला करती है,
यही लौ जल जल के खुद,रौशनी ये तुझे देती है,
भला इसकी भी मिसाल कहाँ होती है,
हर घडी ख़ुशी दे दे के तुझे, दिल ही दिल में सदा ये रोती है,
अरे नादाँ ,पहचान जरा इसके दुःख को, पहचान इसकी फितरत को, पहचान इस हकीकत को,
यही वो शय है, जो हर एक धड़कन में रहा करती है,
न चाहती है ये सोना, न चाहती ये चांदी , आबाद रहे ये दुनिया, रौशन रहे ये जिगर,
कभी उठती है तो कभी गिरती है, हर वक्त इसके दिल में इक टीस सी उठती है,
खुश रहो, मुस्कराते रहो, दिल से यही दुआ देती है।
-----------------नारायण
Bravo Saveta Ji, very nice revelation of your latent zeal. Keep it up, definitely you are going to touch your inner-being, every circumstances taking you towards the Truth.
---------Narayan
बहुत सुंदर रचना मेरे ब्लोक पर आपका स्वागत है कभी पधारियेगा
बहुत सुंदर रचना मेरे ब्लोक पर आपका स्वागत है कभी पधारियेगा
rachana achhi bam padi hai...
rachana achhi ban padi hai
Nice.
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