Sunday, July 31

एक राह पा ली है मेने

कितनी अनकही सी बातें हैं ,
अब मुझे  कह लेने दो, की आवाज पा ली है मैंने ,
कितनी अनबुझ पहेलीया थी जीवन मैं मेरे,
अब उन उलझनों की गुत्थी सुलझा ली है मैंने ,
मैं उलझी रही हूँ,इतने बरस खुद को समझने मैं
अब लगता है एक राह पा ली है मेने





5 comments:

Unknown said...

apne ko pahchanna aur rah banana hi sabse jaruri hai.....

tips hindi me said...

शवेता जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|

shaveta said...

thanx

RK VOHRA said...

I like your style of writing.

shaveta said...

ap sab ka dhanywad