चरागों से जली शाम ऐ , मुझे न जला तू और भी,
मेरा घर जला जला सा है,मेरा तन बदन न जला अभी,
मैंने संजो रखे हैं बहुत से राख के ढेर दिल मैं कहीं,
सुलग सुलग के आये हैं , हवा के झोंको के दौर भी,
मेरे आंसू फिर भिगो रहे मेरा ही दामन और भी ,
दूर सब हो गए , अपना कहने वाले भी
नहीं माना कहीं उनकी गलती मगर
हम अकेले हुए और भी
हम अकेले हुए और भी
अब नहीं फिर से तमन्ना जीने के बची,
जो दी थी ताकत खुदा ने प्यार की,
वो हमसे फिर से छीन ली,
अब और अपना बचा न है,
मेरा घर, जला फुका सा है
और कहाँ जलाएगी ,ऐ शाम चरागों से भरी ,
मैं जल चुकी मैं फुक चुकी
अब बक्श दे मैं मर मुकी !
6 comments:
Bahut achhi rachna. Aapko tatha aapke pariwar ko deepawali ki hardik shubhkamna.
प्रभावशाली प्रस्तुति
आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
दीपावली के पावन पर्व पर आपको मित्रों, परिजनों सहित हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएँ!
way4host
RajputsParinay
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । .मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । दीपावली की शुभकामनाएं ।
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । .मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । दीपावली की शुभकामनाएं ।
ap sabko bhi dipawli ki shubhkamnaye, ap logo ke blog vist kie ,u ppl r great
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