Tuesday, November 8

sandesh

main mar jane se pehle ye sandesh jaror chod ke jana chahti hoo
ki joothi ijjat ke naam pe jine wale log,
apni or doosro ki jindagi ko jahar banane ke ilava
 kuch bhi nahi kar sakte,
ye dogla smaj na to aurat ko jine deta ha
 na marne, har baar aurat dhokha khati ha
 premika ban ke, biwi ban ke or kabhi beti ban ke
kaash ye log jaag jaye or smajh jayen ki
madhyam wargiye aurat ki sthiti bad se batr ho gayi ha

duniyadaari

वो इंसानियत को कोई रिश्ता क्या समझे 
जिन्हें जिस्म की भूख ही दिखाई देती है
वो कैसे चैन से जीने दे किसी और  को
जिन्होंने जिंदगी दूसरो की बैचेनी से बनायीं होती है
जिनके लिए औरत कोई खिलौना है
वो अब भी इस धरती पे बोझ बनके जिन्दा है
बस वो ऐसे जानवर है , की उन्होंने औरत के चरित्र पे
ऊँगली बस टिका राखी है  , ऐ राम क्या तुझसे शिकायत करुं  ? 
तेरे युग से ही सीता पे लोगो ने ऊँगली उठाई रखी है ,
कैसे नामर्द पैदा हो गए है इस कलयुग मैं,
जिन्होंने दुनिया के डर से, नजरें झुका रखीं है
फिर वो कहते है ये, क्या करें दुनिया का दस्तूर है ये,
बस अपने फायदे के लिए दुनियादारी रखी है 

Thursday, November 3

हमें नजर न कुछ आता

वो जो हमें कहते है सीखो दुनिया दारी
क्या कहें की हमारी तो पूरी दुनिया वोही है
वो जो पागल कहते है हमें हर बात पे
वो ये तो समझे के हमें ख़ुशी और
 ग़म से पागल करने वाले भी वोही है 
वो बात बात पर हमारी और  ऊँगली उठा देते है
उनका क्या कहें की उस ऊँगली की और 
ही जहाँ हमारा ख़तम हो जाता है 
और उस से आगे हमें नजर न कुछ आता है