क्या हम नहीं कर रहे एक त्रिशंकु समाज का निर्माण?
क्या नेता, अभिनेता जो रोज रोज अपने साथी बदलते है, रोज नित नयी शादियाँ करते है, और हम उनकी खबरों को चटखारे लगा के पड़ते है, ये एक बहुत बड़े त्रिशंकु समाज की नींव रखने का आह्वान नहीं? कैसे हम अपने बच्चो और युवाओ को भटकने से रोक सकते हा? जब राखी का स्वयंवर जैसे प्रोग्राम हमारी संस्कृति का मजाक बनाते है? हर रोज नित नए बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड बनाने वाले अभिनेताओ को सम्मान नहीं देते? जब हमारी ही कथनी और करनी में फर्क हा तो नव समाज का निर्माण कैसा होगा? ये है त्रिशंकु समाज , जो अपराध की जड़ो को सिंचित कर रहा hai
क्या नेता, अभिनेता जो रोज रोज अपने साथी बदलते है, रोज नित नयी शादियाँ करते है, और हम उनकी खबरों को चटखारे लगा के पड़ते है, ये एक बहुत बड़े त्रिशंकु समाज की नींव रखने का आह्वान नहीं? कैसे हम अपने बच्चो और युवाओ को भटकने से रोक सकते हा? जब राखी का स्वयंवर जैसे प्रोग्राम हमारी संस्कृति का मजाक बनाते है? हर रोज नित नए बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड बनाने वाले अभिनेताओ को सम्मान नहीं देते? जब हमारी ही कथनी और करनी में फर्क हा तो नव समाज का निर्माण कैसा होगा? ये है त्रिशंकु समाज , जो अपराध की जड़ो को सिंचित कर रहा hai
1 comment:
bhut khub
Post a Comment