Sunday, April 15

जाने क्यों

जाने क्यों हर शख्स खरीदार नजर अता ह,
ओर ये संसार एक बाजार नजर अता ह,
dil उजरे ह तो कही तो कही शहर बसें ह,
उज्र दिलो पे नए शहरो का एक बाजार नजर अता ह

हमसे पूछो के हाल हमारा क्या ह,
हमदर्द ना दूर तलक भी ना नजर अता ह,
अपनी दस्ता खुदी को सुनाने बेठे ह,
सुनने वाला ना कोई यार नजर अता ह.

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