ए अनमोल सृष्टी के रचयिता,
ए भारत उठ स्वपन साकार कर अपना!
समानता, ममता,समता की का रचना,
उठ भरत स्वपन साकार कर अपना!
वीजयी भव ,आशीर्वाद देते ह देवता,
ले बापू का शस्त्र ओर ग्यान जवाहर का,
प्राणो मै संचारित कर , लहू नव उल्लास का,
ले अब कर दे शांत क्रांती अरम्भ,
नैनों मै ले कर, परिवर्तन का सपना,
ए अनमोलसृष्टी के रचियता ,
ए भारत उठ स्वपन साकार कर अपना!
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