आज सावन क्यों मुझे , रुलाने लगा,
रिम झिम बूंदो मे कोई याद अने लगा,
जिन्दगी ठहरा हुआ पानी हो गयी,टप टप
की आवाज मैं मोसम गुनगुनाने लगा,
सौनधी मिटटी की खुशबू महकने लगी,
सीहर कर ये मन एक राग गाने लगा,
की काश ये सावन बन जाये एक बहाना,
ओर मील जाओ तुम आज ये दील चाहने लगा.
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