Sunday, April 15

ख्वाबो का रंग

हमदम के याद करने से,
चेहरे पे हया ए जति ह,

उसकी आँखों को याद कर जो
खुद ही आंखे शर्म जति ह,

ख्वाबो का रंग सुर्ख हो जता ह,
जिन्दगी सतरंगी हो जति ह,

हमे खयालो मे ही रहने दो की,
अब जागने से जान मेरी जति ह.

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