कागज पर ढल आई है मेरे अक्स की स्याही, कुछ और नहीं मैं बस एक रचना ही तो हूँ
if u want to see the poems of my blog, please click at the link of old posts at the end of the each page
Sunday, April 15
ख्वाबो का रंग
हमदम के याद करने से, चेहरे पे हया ए जति ह,
उसकी आँखों को याद कर जो खुद ही आंखे शर्म जति ह,
ख्वाबो का रंग सुर्ख हो जता ह, जिन्दगी सतरंगी हो जति ह,
हमे खयालो मे ही रहने दो की, अब जागने से जान मेरी जति ह.
No comments:
Post a Comment