Monday, April 16

दर्द ही दर्द

छुपा के दमन मै रख लेते मेरा नाम तो
यऊ ना हम तमाशा ए दुनीया बनते

ज़ख्मो को दर्द दील मै ही छुपा लेते तो
यऊना हम तमाशा ए दुनिया बनते

जान लेते जो तुम फूल नही हमारे चमन का
यऊ बाग़ उजड़ने के गम मे ना रोते

सिस्कीया लेती ना तन्हायी हमारी कोने मै,
ओर तान्हायियो को अपना ना साथी बाना लेते

अश्क अगर तुम अपने छुपा लेते,
तो दुखो के दरिया मै हम पागल ना बहते!

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