भटकते हुए जीन राहों पर तुमसे हम मिले थे,
क्या पता था ओर भी गम जदा होंगे,
तुम्हें पाकर भी पा ना सके, कभी सुख पा ना सके
हमने तो चाहा था तुम बीना किसी ओर को ना देखेंगे
पर मिल ही ना पाये, एक साथ चलते चलते भी
ओर कभी राहों मै हम मिलान का कोई गीत गुनगुना ना सके
हर वक्त एक बोझ दील पर ही रहता ह की जो साथ साथ
चलता ह, वो क्यों इतनी दूर दूर रहता ह?
No comments:
Post a Comment